जुझारू सौभाग्य के विवाह के लिए उचित वर के लिए सोच विचार करने लगे पत्नी तीखा से परामर्श लेकर समय निकाल कर सौभाग्य के लिए वर कि तलाश करते लेकिन उन्हें अपनी बिटिया सौभाग्य के अनुरूप वर मिलता ही नही थक हार घर लौट आते यही क्रम चलता रहा । एक दिन तीखा से बताकर जुझारू सौभाग्य के लिए उचित वर कि तलाश हेतु निकल ही रहे थे ज्यो घर से बाहर निकले देखा सौभाग्य शेरू के पीठ पर सवार थी और शेरू उसे बड़े प्यार से चहल कदमी करते घुमा रहा था जुझारू शेरू और बिटिया सौभाग्य को