मंदिर के पट - 6

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उसने तीन बार सांकल बजने की आवाज बिल्कुल साफ़ साफ़ सुनी थी । अपने अनुभव को झूठा कैसे समझ ले ? मन की तसल्ली के लिए उसने टार्च का रुख़ कर छत पर जाने वाली सीढ़ियों की ओर कर दिया । अचानक उसे लगा जैसे कोई साया तेजी से सीढ़ियों के ऊपरी मोड़ पर गुम हो गया । टार्च से निकले प्रकाश के दायरे में सीढ़ियों पर पड़ी धूल पर दो छोटे-छोटे मांसल पैरों के निशान पड़े हुए थे । रजत ने उन्हें ध्यान से देखा । उसे लगा जैसे वह इन पद - चिन्हों को पहचानता है आज से