उसका नया साल साहित्य सम्मान समारोह में मेरा उससे मिलना हुआ था। वह अलग थलग सी रहने वाली बगावत के लिये तैयार अपनी नजरों से ही अपनी द्रढता का परिचय देती नजर आई थी । रात देर से मेरे कमरे में आई अपने सोने की व्यवस्था नीचे देख कर पलंग पर सो रहे लोगों के लिये हिकारत भरी नजरों से अपनी प्रतिक्रिया देते समय जरा भी नहीं हिचकाई थी। देर रात अंधेरे के मद्दिम प्रकाश में किसीने किसी का