कॉंन्ट्रैक्ट मैरिज - 17

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मेड सिर झुकाए घबरा कर जाने लगे तो अक्षा चिल्लाने लगी मदद करो मत जाओ यहां से वो खींचा रही थी विक्रम के खिंचने पर ...अक्षा आज हिम्मत नहीं हार सकती उसे खुद ही अपनी मदद करना होगा नहीं तो ये जानवर उसकी आबरू लुट लेगा , विक्रम जैसे ही अक्षा को बिस्तर पर फेंकने लगा तो अक्षा उसके दोनों हाथों को कसकर पकड़ी आपने एक हाथ के नाखून गड़ाते हुए फिर उसके दूसरे हाथ को पकड़ कर उसके कलाई पर अपनी दांत गड़ा दिया वो बंदर की तरह विक्रम से चिपक गई थी ..!!विक्रम को असहनीय दर्द हुआ तो