श्री चित्रकेतु जी

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शूरसेन देश में प्राचीन समय में चित्रकेतु नाम के एक राजा थे। बुद्धि, विद्या, बल, धन, यश, सौन्दर्य, स्वास्थ्य आदि सब था उनके पास। उनमें उदारता, दया, क्षमा, प्रजावात्सल्य आदि सद्गुण भी पूरे थे। उनके सेवक नम्र और अनुकूल थे। मन्त्री नीतिनिपुण तथा स्वामिभक्त थे। राज्य में भीतर-बाहर कोई शत्रु नहीं था। राजाके बहुत-सी सुन्दरी रानियाँ थीं। इतना सब होने पर भी राजा चित्रकेतु सदा दुखी रहते थे। उनकी किसी रानी के कोई सन्तान नहीं थी। वंश नष्ट हो जायगा, इस चिन्ता से राजा को ठीक से निद्रातक नहीं आती थी। एक बार अंगिरा ऋषि सदाचारी भगवद्भक्त राजा चित्रकेतु के