नायरा अपनी बाहरी हो चुकी सासो को संभालते हुए जैसे ही कुछ कहने के लिए मुंह खोलती ह की रक्षित की बात सुन कर उसे लगता हैं की आज उसका आखरी दिन ह वो अभी भी सदमे में खड़ी होकर रक्षित को देख रही थी,।।। जो अभी बिल्कुल नॉर्मल खड़े होकर बिना किसी एक्सप्रेशंस के नायरा की आंखों में देख रहा था। उसे देखकर ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था जैसे अभी जो कुछ भी उसने किया उसे जरा भी उस चीज का अफसोस या फिर गिल्ट हो, नायरा रक्षित पर थोड़ी तेज आवाज में , यह क्या बदतमीजी है