जब लचित को शत्रु के सम्भावित आक्रमण की खबर मिली तो वह बीमारी की स्थिति में भी युद्ध के लिये तैयार हो गया। उसे 'आखोई फुटा' ज्वर था । इस भयावह ज्वर में रोगी के शरीर पर चावल का दाना रखते ही वह तुरंत फूलकर मुरमुरे की तरह बन जाता है। ऐसी गम्भीर हालत में भी वह हठ करके युद्ध नौका पर पहुँचा। उसने देखा कि मुगलों की अनगिनत युद्ध नौकायें गुवाहाटी की ओर बढ़ रही हैं। उसने बिना समय गँवाये अपनी जल सेना को आक्रमण के लिए तैयार रहने को कहा। उस समय यह प्रथा प्रचलित थी कि आक्रमण