समर्थ रामदास का अनदेखा रूपसमर्थ रामदास के शिष्य धर्मप्रचार के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में भ्रमण कर रहे थे। उस वक्त महाराष्ट्र का अधिकतर प्रदेश मुगलों के वश में था। सातारा क्षेत्र विज़ापुर के आदिलशाह के नियंत्रण में था।आदिलशाह का एक दरबारी अधिकारी संगम माहुली में रहता था। वहाँ की हिंदू प्रजा से वह बड़ी बेरहमी से पेश आता। उन्हें प्रताड़ित करता । ब्राह्मण, गोसावी, बैरागी, संन्यासियों को पीड़ाएँ देता। उसने उस क्षेत्र में स्नान-संध्या, पूजा-पाठ, होम-हवन, कथा-कीर्तन आदि धार्मिक कर्म करने पर पाबंदी लगा दी।उद्धवस्वामी और कुछ अन्य शिष्य उस क्षेत्र में कुछ दिन अपने कार्य हेतु गए थे। उन्होंने