अहसान कस के बांधे गये बालों का जूड़ा, क्या मजाल एक बाल भी दिन भर में इधर से उधर हो जाये। ललिता साड़़ी का पल्ला इतने सलीके से कमर पर खोसती कि कमर की लहराती रेखा और स्पष्ट उभर आती। चाल की फुर्ती और मर्दाने से बडे़-बडे़ हाथ गोदने से भरे। क्या मजाल की हाथ की एक चूड़ी भी खिसक कर खनकने की गुस्ताखी कर बैठे। गले पर कसा काले मोतियों का मंगल-सूत्र जिसके सिरे पर कौन सा ताबीज़ बंधा