शाम के वक्त शिल्पा अपने कमरे में बैठी हुई पहाड़ों के बीच ढलते हुए सूरज को देखते हुए कुछ सोच में डूबी हुई थी और उस चीज के बारे मैं सोचते हुए उसके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था,"क्या हुआ शिल्पा क्या सोच रही हो?" पीछे से आकर ध्रुव ने शिल्पा के कंधे पे हाथ रखा तो शिल्पा अपने खयालों की दुनिया से बहार आई,"नहीं बस..ऐसे ही...." शिल्पा ने पलकों को झुकते हुए कहा, पर ध्रुव जानता था की कोई बात है जो उसे परेशान कर रही है, इसलिए ध्रुव भी शिल्पा के हाथो को थामे उसके बगल में