वो पहली बारिश की बूंद : 2

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मेरे पास जितने भी दिन हैं हम ऐसे रहेंगे जैसे यह बात हमें पता ही नहीं, सब पहले जैसा है, प्रौमिस?’’ जिया के चेहरे की मुसकराहट के साथ उस बिखरते अक्स को बारिश अपनी बूंदों से पोंछते हुए राज की नजरों से बचाने उस का मानो साथ दे रही थी.‘‘प्रौमिस, वैसे क्या रखा है ऐसे भीगने में? पूरे कपड़े खराब.’’‘‘जो छोटीछोटी चीज खुशी दे जाए उस के लिए क्या इतना सोचना. तुम्हारी ब्रैंडेड ली की टीशर्ट रंग उतर कर लो थोड़ी न हो जाएगी.’’‘‘मोबाइल का क्या?’’‘‘कैरी बैग में अच्छे से पैक कर सकते हैं.’’‘‘तुम नहाओ मैं अपना सिर इस छत