आदिराज महाराज पृथु के विमल वंश में श्रीहविर्धान की पत्नी हविर्धानी से बर्हिषद्, गय, शुक्ल, कृष्ण, सत्य और जितव्रत नामके छः पुत्र पैदा हुए। इनमें महाभाग बर्हिषद् यज्ञादि कर्मकाण्ड और योगादि में कुशल थे। अपने परम-प्रभाव के कारण उन्होंने प्रजापतिका पद प्राप्त किया। राजा बर्हिषने एक स्थान के बाद दूसरे स्थान में लगातार इतने यज्ञ किये कि यह सारी भूमि पूर्व की ओर अग्रभाग करके फैलाये हुए कुशों से पट गयी थी । इसी से आगे चलकर ये प्राचीनबर्हि के नाम से विख्यात हुए। राजा प्राचीनबर्हि ने ब्रह्माजी के कहने से समुद्र की कन्या शतद्रुति से विवाह किया था। जिससे