109--- ================ संस्थान में रोज़ाना की तरह कक्षाएं शुरू हो चुकी थीं और सभी कलाओं के गुरुओं ने अपनी-अपनी कक्षाओं में पहुँचकर अपने छात्रों के साथ अपना काम शुरू कर दिया था | संस्थान में कई सैशन्स होते थे जो बँटे हुए थे | नृत्य के बच्चे अधिकतर शाम को आते थे लेकिन कार्यक्रम की तैयारी करने के लिए कलाकारों की अलग-अलग कक्षाएँ चलती ही रहती थीं | अब अम्मा आवश्यकतानुसार चैंबर मैं बैठतीं अथवा कभी भी किसी क्लास में चक्कर मारतीं, ज़रूरत पड़ने पर मीटिंग्स में रहतीं | आज तो माहौल कुछ अजीब सा ही था | सभी मेरे