ग्रेजुएशन की सेकंड ईयरफर्स्ट ईयर पास करके जब हम दोनों सेकंड ईयर की फिजिक्स पढ़ने के लिए कोचिंग क्लास में मिलें। तो हमारे बीच कोई भी गीले शिकवे नहीं थे। हम पहले की तरह ही बात करने लगे थे। लेकिन जो चीज़ हमारे बीच आ गई थी। वो थी। अमन शर्माअमन शर्मा की हम दोनों से बढ़ती नज़दीकी में, मैं दुनियाभर की कोशिशें करता था। कि इस बंदे को हम दोनों के बीच ना आने दूँ। पर मेरी लाख कोशिश के बाद भी वो हमारे बीच आने से नहीं रुका। जिसका सीधा सा मतलब था। रुचि उसे निमंत्रण देती थी।