रानी रत्नावती भगवान की बड़ी भक्त थीं। उनका मन सदगुण और सद्विचारों से सुसज्जित था। पति-चरणों में उनका बड़ा प्रेम था। रत्नावती का स्वभाव बड़ा मधुर था। दासियों के साथ भी मधुर व्यवहार करती थी। वह ठीक से समझती थी, मानती थी कि हम जिससे व्यवहार करते हैं वह कोई मशीन नहीं है, मनुष्य है। उसे भी सांत्वना चाहिए, सहानुभूति चाहिए, प्यार चाहिए। अपने मधुर व्यवहार से, मधुर वाणी से, बढ़िया आचरण से सारे महल में आदरणीय स्थान प्राप्त कर चुकी थी। दासियाँ भी उसके प्रति बड़ा आदर-भाव रखती थीं।आँबेर के प्रसिद्ध महाराजा मानसिंह जी के छोटे भाई का नाम