.... मन का मीत. - 1

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....... सूबह के 10 बज रहे थे। हवाओं में काफी ठंडक थी।चूंकि यह मार्च का आधा माह बीत जाने की सुबह होते हुए भी काफी सर्द मौसम था।खेतों में। गेंहू की फसल कटने के इंतजार में खड़ी थी।कई जगह चने के खेत थे साथ ही साथ ज्वार भी थी।अपवाद की स्थिति में रास्ते में नीरज ने कुछ कुल मिलाकर दो चार जगहपर ही तरकारी की खेती देखी थी। वह जान पा रहा था की ,तरकारी की खेती इन जगह में क्यों नहीं करते। हर रोज तरकारी के बाजार लेकर जाना ही पड़ता था।नाशवंत होने का कारण इसका भंडारण नही हो