जब शबाब सोचने लगी तो हमने उनसे पूछा.... "क्या हुआ?क्या सोच रहीं हैं आप"? तब वो बोलीं... "आप कमसिन हैं,ये ज़हन,ये हुस्न,ये नजाकत और ऐसा शौहर" "जो भी हो,हम है तो आखिर औरत ही ना,अगर औरत से कोई गलती हो जाती है तो ये जमाना उसे कभी माँफ नहीं करता,शायद हमें उसी गलती की सजा मिली है,बड़े अब्बा को हमारे लिए जो मुनासिब लगा सो उन्होंने वही किया",हमने कहा... "कुछ भी हो लेकिन चम्पे की कली को उन्होंने ऊँट की दुम पर बाँध दिया है,आपको देखकर तो दुख के मारे हमारी छाती फटी जा रही है",शबाब बोली... "अपनी सौत से