उसके बाद बड़े अब्बू और डाक्टर सिंह के बीच तय हुआ कि उन्हें उनकी दौलत और जायदाद नहीं चाहिए,वे तो बस अपनी दुनिया में बच्चे का आगमन चाहते हैं लेकिन बड़े अब्बू इस बात के लिए कतई राज़ी ना हुए और उन्होंने सारे कागजात पहले से ही तैयार करवा लिए और उन्होंने वही किया जैसी उन्होंने डाक्टर सिंह को जुबान दी थी और फिर हम सभी कुछ ही दिनों में दार्जिलिंग के लिए रवाना हो गए,वहाँ किसी मिसनरी अस्पताल के डाक्टर की मौजूदगी में मैं अपने बाकी के दिन काटने लगी, जैसे जैसे दिन बढ़ रहे थे तो मुझे अपने