अन्धायुग और नारी - भाग(३७)

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वे वहाँ से अपने दिल में मेरे लिए गलतफहमी लेकर चले गए और फिर मैंने कभी भी उनसे मिलने की कोशिश नहीं की,वे अपने गाँव में रहने लगे और मैंने नाच गाना छोड़कर शराफत की जिन्दगी गुजारने का फैसला लिया और वो बच्ची भ्रमर ही है.... ये कहते कहते चाँदतारा बाई की आँखों में आँसू आ गए और मैं उनके पैरों में गिरकर बोला.... "तो आप ही मेरी माँ हैं" "हाँ! बेटा! लेकिन पालने वाली माँ जन्म देने वाली माँ से ज्यादा बड़ी होती है",वे बोलीं.... "लेकिन उन्होंने तो मुझे आपसे धोखे से छीना था",मैंने कहा.... "लेकिन त्रिलोक बेटा! उन्होंने