साथिया - 26

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साँझ को जब एहसास हुआ कि अक्षत उसके साथ चल रहा है तो यह एहसास उसे एक अलग ही खुशी दे गया। उसने अक्षत की तरफ देखा। बस एक नजर देख कर फिर सामने देखने लगी पर उसके चेहरे पर आई हल्की सी मुस्कान ने उसके दिल का हाल बखूबी बयां कर दिया। " डर था मन में कि कहीं तुम मुझे गलत ना समझने लगो और नाराज ना हो जाओ। पर तुम्हें देखकर ऐसा लगता है कि शायद तुम्हें मेरा आना अच्छा लगा और लगेगा भी क्यों नहीं ईशान और शालू तो एक दूजे के साथ इंगेज हो गए।