कलवाची--प्रेतनी रहस्य - भाग(६९)

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कालवाची बनी कर्बला शान्त होकर कक्ष में खड़ी ये सोच रही थी कि गिरिराज ने उसे अपने कक्ष में ठहरने को क्यों कहा,कहीं उसे संदेह तो नहीं हो गया मुझ पर और तभी गिरिराज उसके समीप आकर बोला.... "तुम वैशाली की बहन हो ना!" "जी! महाराज!",कर्बला बनी कालवाची बोली... "तुम तो बहुत ही अच्छा नृत्य करती हो",गिरिराज बोला... "बहुत बहुत धन्यवाद महाराज!",कर्बला बनी कालवाची बोली.... "तुम अत्यधिक रुपवती और गुणवती भी हो,किन्तु मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि तुम्हें तुम्हारी योग्यता के अनुसार वो स्थान नहीं मिला जो मिलना चाहिए था",गिरिराज बोला.... "आपके कहने का तात्पर्य क्या है महाराज?",कर्बला बनी