105---- =============== “श्रेष्ठ?---”फ़ोन पर नाम उभरा देखकर मेरे मुँह से निकला| “हाऊ आर यू डूइंग ?” उधर से जानी पहचानी आवाज़ व स्टाइल था| “गुड—व्हाट हैप्पन्ड ?”मेरी आवाज़ एक दोस्त के जैसी तो नहीं थी| होती भी कैसे?जिन परिस्थितियों में से मैं उसके साथ निकलकर आई थी वे मेरे लिए बहुत आनंददायी नहीं थीं| “क्या अभी तक मुझसे नाराज़ हो?”उसने इतने आराम से पूछा मानो हमारे बीच बच्चों की तरह कोई खिलौने के लिए झगड़ा या गुड्डा-गुड़िया की शादी में कोई छोटी-मोटी बात हो जाने पर वे एक-दूसरे से नाराज़ हो जाते हैं फिर अपने आप किन्हीं लम्हों में घुल-मिल