असमर्थों का बल समर्थ रामदास - भाग 17

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चाफल में राम मंदिर का निर्माणसातारा ज़िले में स्थित चाफल (चाफळ) ग्राम, उस वक्त मुगल शासकों के कब्जे में था। उस समय नए मंदिरों का निर्माण लगभग बंद हो चुका था। लोग किसी पत्थर को सिंदूर से लेपकर उसे गाँव की सरहद पर रख देते और आते-जाते उसी को नमन करते। उसे ही अपने कुल का देवता मान लेते। मुगल शासन में हिंदुओं के लिए अपने धर्म और संस्कृति का पालन करना बड़े साहस का काम था।समर्थ रामदास के रूप में चाफल ग्रामवासियों को एक साहसी धर्मोपदेशक मिला था। उनकी राह पर चलने के लिए चाफल के युवाओं में काफी