जिन्दगी के चौराहे पर खड़े ओंकारनाथ और उनकी धर्मपत्नी पुरानी बीती बातों को याद करते हुए सोचते हैं कैसे 70 साल बीत गए l इसी घर के आँगन में पढ़ते खेलते दोनों बच्चे बड़े हो गए दोनों अपने काम धंधे में लग गए l भला चंगे परिवार की बेटियाँ देखकर दोनों बेटों की शादी कर दी l आज पूरे घर मे पोते पोतीयो की हँसने खेलने और धमा चौकड़ी की आवाज सुनाई देती हैं l पर उनका जीवन तो जैसे एक कमरे में सिमट कर रह गया था l उनके बेटे माधव और अर्जुन जो उनकी एक आवाज पर,जी पिताजी,