धर्म औऱ संविधान

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धर्म और संविधान--व्यक्ति समाज और राष्ट्र कि जीवन पद्धति आचार,व्यवहार ,संस्कृति ,संस्कार उस राष्ट्र समाज कि धार्मिंक पहचान होती है या मानी जाती है ।धर्म भाव भावना यूँ कहें आस्था है जो किसी भी व्यक्ति को जन्म के साथ मानव समाज में उसको परिभाषित किया जाता है। धर्म जीवन मूल्यों सिद्धान्तों आदर्शों के प्रति आस्थावान समर्पित भाव को जन्म देता है धर्म जीवन मूल्य है तो संविधान शासन शासक कि वह व्यवस्था का डंडा या दंड व्यवस्था है जो व्यक्ति समाज को भय से जीवन मूल्यों और आदर्शो को समाज तदुपरांत राष्ट्र का आचरण निर्धारित करने में सहायक होता है