प्रेम गली अति साँकरी - 104

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104--- =============== गाड़ी न जाने किन-किन रास्तों से गुज़र रही थी और हम दोनों गुमसुम से बैठे थे|  “यू नो, दीदी लाइक्स यू सो मच----” अचानक प्रमेश जैसे बड़ा खुश होकर बोला| शायद वह मेरे साथ थोड़ा-थोड़ा खुलने की कोशिश कर रहा था| अरे ! खुद की बात करता तो थोड़ा समझ में आता, उसकी दीदी से शादी करनी थी क्या मुझे? मैंने उसकी बात का कोई उत्तर नहीं दिया, क्या देती कहाँ कुछ समझ पा रही थी? मैंने महसूस किया, वह कनखियों से मुझे देख रहा था| उसके चेहरे पर थोड़ी मुस्कान भरा सुकून सा भी दिखाई दे रहा