नाम जप साधना - भाग 4

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कौन सा नाम जपेंयह जीवात्मा अनादि काल से इस अनादि माया में उस अनादि परमात्मा के बिना चौरासी लाख योनियों में जन्म लेती हुई भटक रही है। इस माया में इस जीव को अनादि काल से लेकर अब तक स्थायी रूप से कोई ठिकाना नहीं मिला। आज तक इसको जो भी कुछ मिला स्थायी रूप से नहीं मिला। यह जीवात्मा स्वयं में अविनाशी तत्त्व है और इसको मिलने वाली प्रत्येक वस्तु विनाशी होती है। इसलिये इसको इस माया में कुछ भी प्राप्त हो, इसकी भटकन समाप्त नहीं होती। इस अविनाशी आत्मा को जब तक अविनाशी परमात्मा की प्राप्ति नहीं होती