कान्हा हमारा

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कान्हा हमारा आज सुबह प्रफुल्लित मन से उठी,रात सोते समय ही सोच लिया था, कल काकाजी से जरूर बात करूंगी। सुबह सवेरे ही सोचा दिन भर काम में समय नहीं मिलेगा काकाजी को अभी फोन लगा लूं। सारे समाचार लेकर जब फोन रखने लगी। काकाजी ने समाचार दिया जिसमें मोहल्ले के पुराने लोगों में से माथुर साहब के देहान्त का भी समाचार था। वह शायद यह समाचार मुझे देना तो नहीं चाहते थे वे ये अच्छी तरह  जानते थे कि मेरा उस परिवार के साथ एक अलग जुड़ाव था। वृद्ध जनों के जाने का दुखः तो होता है साथ ही