कलयुग के श्रवण कुमार - 2

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जीवन भर की बचत - 2 शेष..... शगुन का प्रमोशन हुआ था, सो दो दिन बाद उसने अपने फ्लैट पर पार्टी रखी थी। मृदुला बिल्कुल ना खुश थी। कई बार समझाया था कि यह सब ठीक नहीं, जिम्मेदारी को समझो, घर पर बहन शादी लायक है। उसके बारे मे सोचों मम्मी पापा के बारे मे सोचों। पर शगुन को मृदुला की कहाँ सुननी थी, और वह रूठ गया। अंततः मृदुला ने भी जिद छोड़ दी। सारे जानपहचान के लोगों को आमंत्रित कर लिया था। ताकि लोग समझ सके कि शगुन कितने बड़े पद पर और कितना पैसे वाला है। कबीर