नाम जप कीर्तन से पापों का नाशगोविन्देति तथा प्रोक्तं भक्त्या वा भक्ति वर्जितैः । दहते सर्वपापानि युगान्ताग्निरिवोत्थितः।।मनुष्य भक्ति भाव से या भक्ति रहित होकर यदि गोविन्द नाम का उच्चारण कर ले तो नाम सम्पूर्ण पापों को उसी प्रकार दग्ध कर देता है। जैसे युगान्तकाल में प्रज्ज्वलित हुई प्रलय अग्नि सारे जगत् को जला डालती है। अनिच्छयापि दहित स्पृष्टो हुतवहो यथा । तथा दहति गोविन्दनाम व्याजादपरितम् ।।जैसे अनिच्छा से भी स्पर्श कर लेने पर अग्नि शरीर को जला देती है उसी प्रकार किसी बहाने से लिया गया हरि नाम पाप को जला देता है ‘वृहदपुराण' में तो यहाँ तक लिखा है