इस से अच्छा बस अड्डे पर रुक जाता कम से कम इंसान नजर नहीं आते तब भी बिजली के खंभों से रोशनी तो होती दूसरा मैंने रिक्शे वाले को गांव के पास वाले हाईवे रोड़ से किराया देकर वापस भेज कर गलती कर दी आज कि रात मामा मामी के घर ही उसे रोक लेता तो कम से कम पक्के रोड़ से गांव तक के इस कच्चे अंधेरे सुनसान डरावने रास्ते पर अकेले तो पैदल नहीं चलना पड़ता। यह सब सोचते सोचते शम्मी अपनी ननिहाल जा रहा था, ऐसी अंधेरी रात में जिसमें अच्छे खासे मजबूत दिल के पुरुष को