ताश का आशियाना - भाग 35

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2 दिन हो चुके थे lसिद्धार्थ को उससे मिले हुए, उसका का कोई जवाब नहीं आया था। फिर रागिनी ने अपने लंदन के टिकट बुक कर ली थी, आज शाम के फ्लाइट से ही वह लंदन वापस जाने वाली थी।जाने से पहले वह अपने कपड़े भर रही थी तभी उसकी नजर कपड़ों में दबे उस सोने के कंगन के डिबिया पर गई जिसको गंगाजी ने उसे दिया था कैफे वाली मुलाकात में।उन्हे अटूट विश्वास था की, रागिनी ही उनके घर की बहू बनेंगी। यह जानते हुए भी कि उनका लड़का एक मेंटल पेशेंट , मानसिक रोगी है। फिर भी उन्हें