यूपी 65 निखिल सचान उपन्यास समीक्षा

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कहानी: 3.5/5पात्र: 3.5/5लेखन शैली: 4/5उत्कर्ष: 4/5मनोरंजन: 4/5“वाह जी वाह! एक गुलजार साहब हुए हैं। और एक हुए हैं अमित कुमार पांडे। इतिहास में आज तक का सबसे दर्द भरा ब्रेक अप लेटर गुलजार साहब ने लिखा— ‘मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है’। और उसके बाद पांडे जी ने लिखा – ‘मेरा सात सौ पिचहत्तर रुपिया, तुम्हारे पास पड़ा है, वो भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो’, मैंने कहा।”निखिल सचान नई हिंदी के उभरते हुए कथाकार हैं और अपनी पहली पुस्तक के प्रकाशन के साथ ही वह एक लोकप्रिय और सफल उपन्यासकार के रूप में स्थापित हो चुके हैं।