चिठिया हो तो हर कोई बांचे

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जबसे लैपटाप और मोबाइल युग आया है हम सभी के जीवन से पत्र लेखन ,मनन और वाचन की विधा धीरे धीरे विदा हो रही है ।अपनी सेवा प्रारम्भ वर्ष 1977 से रिटायरमेंट वर्ष 2013 में, फुर्सत के क्षणों में, मैने पाया कि ढेर सारे पत्रों का खजाना मेरे पास जमा पड़ा है । पत्र जिसमें प्यार है, गुस्सा है , संस्मरण हैं, रिश्तों की मिठास या कड़वाहटें भी समाहित हैं ।प्रसिद्ध कवि हरिवंशराय बच्चन, भूदान प्रणेता विनोबा भावे, पं० विद्यानिवास मिश्र, साकेतानन्द, जस्टिस एच० सी० पी० त्रिपाठी, के० पी० सक्सेना, विवेकी राय के लिखे पत्र और हां हास्य कलाकार महमूद