इश्क़, मुहब्बत, जरूरत, आदत जो भी कहो l बेपन्हा ओ बेइंतिहा सी चाहत जो भी कहो ll गर थोड़ा वक्त मिले तो निकाला करो जरा l दीदार से मिल जाती है राहत जो भी कहो ll तड़प और तरस हमेशा से चाहत की रहीं हैं l जो भी प्यार से दोगे उसे दावत जो भी कहो ll इश्क ने ये क्या जादू कर दिखाया है देखो तो l दवा से या दुआ से मिले ताकत जो भी कहो ll प्यार ओ अपनेपन की जो धारा बहती है उसे l नदी, दरिया, समंदर या सागर जो भी