BOUNDARY कभी-कभी दयालुता के कारण लोग हमारा शोषण करते हैं, और यहीं पर हमें स्पष्ट सीमाएँ स्थापित करने की आवश्यकता होती है.. हम करते क्या है ? अपने आसपास चारों और एक एक सीमा बनाते हुए हम खुद ही उस सीमाओं के अंदर कैद हो कर रहे जाते है,.. - और उसे boundaries नहीं कहे सकते,.. सीमाएँ वो नहीं है जो हमें दुनिया से अलग करे, बल्कि यह क्षितिज की तरह होनी चाहिए जहां आपका निजी स्थान हो,.. Boundaries ये तय करती है कि हमारी सीमा कहां समाप्त होती है और लोगों की कहां से शुरू होती हैं।