प्रेम गली अति साँकरी - 100

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100---- ============= संस्थान की कक्षाएँ अपने समय से चल रहीं थीं और यू.के से भाई की पुकार कुछ ऐसे कि बस अम्मा-पापा को अब भेज ही दो कुछ दिनों के लिए| उसे आजकल जाने क्यों अम्मा-पापा की बड़ी याद आ रही थी | मैंने उन्हें कहा भी कि वे दोनों कुछ दिनों के लिए संस्थान के काम के लिए नहीं भाई-भाभी के प्यार के लिए जाएँ| बेशक वह अपनी इच्छा से गया था लेकिन किसी का दिल दुखाकर नहीं गया था| पूरा परिवार उसके निर्णय से खुश था बल्कि आनंदित ही था| वैसे इस पर भी काफ़ी चर्चा तो हो