अन्धायुग और नारी - भाग(३१)

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मैं अब दुविधा में फँस चुका था,समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं क्या करूँ,किसी ने कुछ भी ठीक ठीक जवाब नहीं दिया था कि आखिर वें सब भ्रमर की माँ चाँदतारा बाई को कैसें जानते हैं और चाँदतारा के अतीत से मेरे बाऊजी का कौन सा नाता था,फिर मैं कुछ दिन और घर पर रहा लेकिन सही सही सटीक उत्तर ना मिलने पर मैं घर से वापस शहर आ गया,क्योंकि घर पर भाभी के सिवाय कोई भी मुझसे बात नहीं कर रहा था,सब मुझसे इस बात को लेकर नाराज़ थे कि मैंने तवायफ़ की बेटी को पसंद किया