एक थी नचनिया - भाग(२७)

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तब डाक्टर मोरमुकुट ने कस्तूरी से कहा..... "कस्तूरी! मैं जिनका इलाज करने कलकत्ता गया था ना तो उनका नाम ही जुझार सिंह है,मैंने उस समय तुम्हें उनके बारें में बताते हुए उनका नाम लिया होगा इसलिए शायद तुम्हें ये नाम सुना सुना सा लग रहा है" "हाँ! तब ऐसा ही होगा",कस्तूरी बोली... "मुझे थोड़ा काम है तो मैं अब जाऊँ",डाक्टर मोरमुकुट सिंह ने कस्तूरी से पूछा... "हाँ! डाक्टर बाबू! अब तुम जाकर अपना करो",कस्तूरी बोली... "ठीक है तो मैं जाता हूँ, तुमने दवा खा ली है तो अब तुम भी आराम करना और अपनी हरी चूनर और चूड़ियों को सम्भालकर