वैजंती ने रोती हुई अनाया को बड़े ही प्यार के साथ अपने पास बुलाकर बिठाया और उसके आँसू पोंछते हुए कहा, “डरो नहीं बिटिया, तुम्हारे पापा तुम्हें ढूँढते हुए यहाँ ज़रूर आ जाएंगे।” “तुम्हारा नाम क्या है?” “अनाया …” उसने रोते हुए कहा। सुखिया के हाथ अब भी चाक पर घूम रहे थे। सुखिया भी थी तो उसी की उम्र की लेकिन उससे कहीं ज़्यादा परिपक्व थी, जिसका कारण था हालात। खैर सुखिया ने उससे कहा, “देखो मैं कैसे बर्तन बनाती हूँ इसके ऊपर। तुम भी बनाओगी अनाया?” सुखिया चाह रही थी कि किसी तरह से वह रोना बंद कर