अम्मा मुझे मना मत करो - भाग - 5

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वैजंती उसके मन में चाहे जो भी सोच रही हो लेकिन सुखिया का इरादा अटल था। मेले में जाने के उत्साह ने उसे और भी अधिक जोश से भर दिया था। धीरे-धीरे सुखिया ने बहुत सारे बर्तन और मटके आदि बना लिए। वह उन पर रंग भरकर सुंदर चित्रकारी भी करने लगी। यदि माँ सरस्वती का आशीर्वाद लेकर किसी का जन्म होता है और मेहनत करने की चाह होती है तो कला हाथों से निकलकर कलम, पेंसिल या चित्रकारी करने के ब्रश तक अपने आप ही पहुँच जाती है। सुखिया तो जैसे माँ सरस्वती का आशीर्वाद लेकर ही पैदा हुई