अम्मा मुझे मना मत करो - भाग - 3

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जब सुखिया केवल दस वर्ष की थी तब एक दिन अचानक उसको चाक घुमाता देखकर रामदीन की आँखें फटी की फटी रह गईं। उसे ऐसा लग रहा था मानो सुखिया ऐसी अद्भुत कला अपने साथ खून में समेट कर ले आई है। सुखिया के हाथ चाक पर इस तरह घूम रहे थे मानो महीनों का अभ्यास करके आई हो। मिट्टी का वह खिलौना ऐसा रूप ले रहा था जैसा कि ख़ुद रामदीन बनाया करता था। इतनी छोटी उम्र और छोटे-छोटे हाथों से यह हो पाना असंभव नहीं तो अत्यधिक कठिन अवश्य ही था। रामदीन ने आखिरकार सुखिया से पूछ ही