शालू को उसके घर छोड़कर इशान अपने घर की तरफ निकल गया।शालू से बातचीत कर कर और उससे मिलकर ईशान को अच्छा लगा था।अच्छा "लड़की अच्छी है दोस्ती की जा सकती है।" इशान खुद सही बोला।"एकदम सिंपल...! अपने पापा के पैसे का कोई घमंड नहीं है तभी तो स्कूटी से घूमती है, वरना अबीर राठौर की क्या पोजीशन है शहर में हर कोई जानता है। और यही सिंपलीसिटी उसकी मुझे भाई।" इशान बोला और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।तभी ख्याल मनु का आ गया।" हे भगवान उस भूतनी ने ना जाने क्या क्या बोला होगा घर जाकर ?!अब बस