आखिर तो एक आश्रित

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मांगने से जो मौत मिल जातीतो कौन जीता इस जमाने मे ?आखिरी 72 घटों से मैं मुंबईअस्पताल के आई सी सी यु के बिस्तर में पड़ा जिंदगी और मौत के बीच लुप्पा छिप्पी का खेलखेल रहा हूं. यम राजा का साया मेरे सिर पर मंडरा रहा था.चंद घड़ी का मेहमान होने का अहसास कुछ राहत दिला रहा हैं. फिर भी पामर जीव जिंदगी की उंगली छोड़ने को तैयार नहीं.हर घड़ी मरने से एक बार मर जाना बेहतर होता हैं.दिल का दौरा मुझे यहाँ घसीट लाया हैं. न जाने कौन कौन सी बीमारिया भागीदार बनी हैं.बर्फ की पाट, मिर्ची पावडर ओर