समस्या या समाघान श्रीनिवास माथुर जी का घर आज एक नये उत्साह से सरोबार नजर आ रहा था। मानो चारों और का सन्नाटा कहीं और जा दुबका हो , सौंघे पकवानों की गंघ से सुवासित चंदा की रसोई और बाजार की भागम भाग के साथ घर के रख रखाव में व्यस्त चंदा का पति रमेश, आज दौड दौड कर काम निमटा रहा था , उसे आज पल भर की भी फुरसत नहीं थी| बच्चों को तो चंदा ने आज सुबह बहला फुसला कर ही स्कूल भेजा था। वह नादान तो बस चाचा के नाम की ही रट लगाये हुये