हॉरर मैराथन - 8

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भाग 8 मानसी ने अपनी कहानी को आगे बढ़ाते हुए कहा- सुधा- बेटा, आज जल्दी आ जाना मैंने तेरी पसन्द के छोले-भटूरे बनाये हैं। मनप्रीत इधर- उधर नजरों को घूमाता हुआ बोला- जी माँ बस आ ही रहा हूं। वह नीचे की ओर जाने के लिए पलट ही रहा था कि उसे एक परछाई तेजी से भागती हुई दिखीं। उसके कदम उसी दिशा की ओर बढ़ चले। आज मनप्रीत को आसपास खड़ी डमी बहुत ही भयानक लग रही थीं। डमी के बीच से गुजरते हुए मनप्रीत उस समय ठिठक गया जब किसी ने पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखा।