हॉरर मैराथन - 7

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भाग 7 उधर उनका प्रतिबिंब उन्हें रोता हुआ दिखा। वह शीशे से लिपटकर रोने लगीं। मेरा प्यारा बच्चा, तू मुझे छोड़कर क्यों चला गया। कुछ देर तक शीशे को गले से लगाए रखा फिर अपने आँसू पोछते हुए वह चुपचाप खड़ी हो गई। उन्होंने देखा उनका प्रतिबंब मुस्कुरा रहा था। अपने बेटे को खुश जानकर उनके मन को राहत मिली। बाहर लोडिंग रिक्शा आ गया था। शीशे को सावधानी के साथ रख दिया गया। मधुमिता की आँखे नम हो गई। उसे लगा मानो कोई अजीज दोस्त उससे विदा ले रहा हैं। लोडिंग रिक्शा स्टार्ट हुआ और उसी के साथ कृष्णकांत