(भाग 19) रघुनाथ का साथ पाते ही शोभना को राहत महसूस हुई। रघुनाथ व शोभना ने ज़मीन पर बैठी हुई उस महिला को सहमते हुए देखा। कमरे में ऐसी शांति पसरी हुई थी जैसी शांति तूफ़ान के आने से पहले होती है। शोभना की बातों का उस औरत पर गहरा असर पड़ा। उसे एहसास हुआ कि बदलें की आग में जलकर उसने अपने आप को इस घर की चार दीवारी में कैद कर लिया है। इस तरह से तो वह सदियों तक भटकती रहेंगी क्योकिं आत्मा तो अमर है। उसका तो कोई अंत ही नहीं है। यह घर, शरीर, इस