वो बिल्ली - 17

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(भाग 17) अब तक आपने पढ़ा कि शोभना रघुनाथ को ढूंढते हुए स्टोर रूम तक आ जाती है। अब आगें... शोभना डरते -सहमते हुए ज़ोर-ज़ोर से धड़कते हुए दिल से स्टोर रूम में दाख़िल होतीं है। रूम में अंधेरा जरूर था पर इतना भी नहीं कि कुछ दिखाई न दे। प्राकृतिक प्रकाश से अंधेरा उतना काला नहीं था जितना रात को रहता है। धीरें-धीरें शोभना कमरें में आगें बढ़ती जा रहीं थीं। वह रॉकिंग चेयर से कुछ एक कदम दूरी पर जाकर ठहर गई। वहाँ उसे कोई भी हलचल होतीं दिखाई नहीं दी। उसने साइड टेबल पर रखें हुए ग्रामोफोन