(भाग 16) अब तक आपने पढ़ा कि रघुनाथ झटके से आँख खोलता है और उसके चेहरे पर एक डरावनी सी कुटिल मुस्कान तैर जाती है। शोभना इस बात से अनभिज्ञ फ़िर से अपनी जगह जाकर सो जाती है। अब आगें... भोर का सूरज पूर्व दिशा से झाँक रहा था। पूर्व दिशा भी लालिमा लिए हुए थीं। लगता था जैसे सूरज अपने माँ के लाल महीन आँचल के पीछे से छुपकर देख रहा हो। शोभना की नींद तेज़ आवाज़ से उचट गई। वह झटके से उठकर बच्चों को देखती है। दोनों बेफिक्र होकर गहरी नींद में सो रहें थे, लेकिन यह